Sunday, 21 April 2019

पन्ना का बलिदान

भारत के इतिहास का यह गौरवशाली अध्याय है ।
राष्ट्रहित बलिदानियों  में  प्रथम पन्ना धाय है ।।
मेवाड़ को हथियाने बनवीर ने षड़यंत्र रचाया था  ।
जनता का ध्यान बटाने  दीपदान पर्व कराया था ।।
राणा सांगा को मारकर  ताज पहनना चाहता था ।
अपनी राह के कंटक उदय को मारना चाहता था ।।
रक्तरंजित तलवार लेकर  राजमहल में आया था ।
सैनिकों  के साथ  पन्ना को  डराया  धमकाया था ।
कर्तव्यनिष्ठ ,वीरांगना मुसीबतों से न कभी हारी थी ।
मेवाड़ के उत्तराधिकारी को  बचाने की  बारी थी ।।
जूठे पत्तलों की टोकरी में उदय को  भिजवाया था ।
कीरत बारी  के द्वारा सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया था ।।
बनवीर को दिग्भ्रमित करने तरकीब एक लगाई थी ।
उदय की शय्या में  अपने पुत्र चंदन को सुलाई थी ।।
बनवीर की शमशीर को रक्तरंजित होते देखा था ।।             आँखों के आगे अपनी कोख  को उजड़ते देखा था ।।
उस धीर - वीर माता ने  अश्रु न  एक बहने दिया ।
राष्ट्रहित सर्वोपरि है कर्म से उसने यह सिद्ध किया ।।
नमन  वीर माताओं को  जो भारत की शान बढ़ाई है।
अपने पावन कर्मों से  वसुंधरा की आन बचाई है ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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