Sunday, 28 April 2019

महकती सुबह

चिडियों की चुनचुन...
भौरों की गुनगुन..
कली फूल बन मुस्काई है ।
निशा की आली..
उषा की लाली..
महकती सुबह ले आई है ।।
पपीहे की बोली ,
कोयल भी डोली...
बेलों  पे छाई तरुणाई है ।
अमियों की झोली
बच्चों की टोली ,
यौवन छाई अमराई है ।
चंपा की खुशबू ,
मन हुआ बेकाबू ,
शीतल  बही पुरवाई है ।
सुरभित जीवन है ,
मदमस्त तन - मन है ,
पत्तों पे छाई अरुणाई है ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
              दुर्ग , छत्तीसगढ़

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