Tuesday, 16 May 2017

चिड़िया

बहुत दिनों बाद ,
मेरी रसोई में आई है चिड़िया ...
गर्मी से बेहाल होकर  या
जमाने की शिकायत करने ।।
मैंने डाले हैं बरामदे में
चावल के दाने ,
थोड़ा खाई ,थोड़ा  फैलाई है चिड़िया,
लगी  चहचहाने ।।
आने से इनकार कर रही है,
रोशनी कमरों के भीतर ,
कब्जा रोशनदान पे कर आई है चिड़िया,
घोसलों के बहाने ।।
झाँकने लगी हैं पेड़ों की शाखें ,
पत्ते कुछ भीतर गिरे हैं,
अपनी चोंच में  कुछ दबा ले आई है चिड़िया,
बच्चों को खिलाने ।।
चहकती , फुदकती ,
ठहरती न ,दिन भर उड़ती रहती,
मेहमान बनकर आई है चिड़िया ,
हमें कर्मठता का पाठ पढ़ाने ।।
बहुत दिनों बाद आई है चिड़िया,
आँगन में चहचचहाई है चिड़िया ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे ,
HIG 1 / 33 आदित्यनगर , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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