Saturday, 26 October 2019

गुरु का महत्व

  गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरोदेवः महेश्वर ।
गुरू साक्षात परमब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ।
   बच्चे की प्रथम गुरु माँ  होती है जो  उंगली पकड़ कर उसे चलना सिखाती है ,  संस्कार देती है , पिता सही - गलत का ज्ञान कराते  हैं । भारतीय संस्कृति ऐसी है जहाँ गुरु को भगवान से ऊपर का दर्जा दिया गया है । इतिहास में कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जब गुरु की कृपा से शिष्य अपना नाम अमर बना गये । अरस्तू , सुकरात , प्लेटो , एकलव्य , अर्जुन , कर्ण , आरुणि , चन्द्रगुप्त कुछ ऐसे नाम हैं जो गुरुदेव की कृपा से सफल हुए । कबीर जी ने  भी कहा है -
  "गुरु - गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पांय ।
बलिहारी गुरु आपनो गोविंद दियो बताय। "
     गुरु पथ -प्रदर्शक होते हैं , यदि जीवन में सही गुरु मिल गये तो जिंदगी सफल हो जाती है परंतु सही गुरु न मिलने पर  शिष्य राह भटक जाता है और अंधेरे में ही रहता है ।  कहा गया है -
"जाके गुरु है अंधला ,चेला खरा निरंध ।
अंधा अंधही ठेलया दोनों कूप पड़न्त । "
गुरु अपने शिष्य के हित के लिए कड़वे शब्द बोल दे तो भी बुरा नहीं मानना चाहिए क्योंकि वे हमारे भले के लिए बोलते हैं । सतगुरु के ज्ञान के बिना ईश्वर भी नहीं मिल सकते ।
सतगुरु की किरपा अनन्त , महिमा अपरंपार ।
लोचन अनन्त उघाड़िया , अनन्त दिखावनहार ।
       वर्तमान स्थिति में गुरु का सम्मान घट रहा है क्योंकि अब न तो शिक्षा को समर्पित गुरु रहे और न ही आज्ञाकारी शिष्य । आज्ञाकारी शिष्य सिर्फ आवेदन पत्रों तक ही सिमट गये हैं । गुरु के प्रति आदरभाव में कमी आती जा रही है क्योंकि ट्यूशन व कोचिंग संस्थानों ने सिर्फ रुपये कमाने के लिए गुरु - शिष्य परम्परा को तिलांजली दे दी है । विद्या दान न होकर व्यवसाय हो गया है । समाज में बदलाव ने लोगों की सोच भी बदल दी है । यह बात सभी के लिए लागू नहीं होती क्योंकि अच्छे और बुरे हर क्षेत्र में होते हैं । यदि गुरु शिक्षा के प्रति समर्पित होंगे तो वे छात्रों से आदर भी पायेंगे ऐसा मेरा मानना है । समर्पण की भावना गुरु - शिष्य के सम्बंध को मजबूत बनाती है । जिंदगी भी एक गुरु से कम नहीं जो हमें कई पाठ पढ़ाते रहती है । गिरकर ही हम सम्भलना सीखते हैं । बुरा वक्त हमें कई नई बातें सिखा जाता है , दोस्त भी कई बार हमें सही - गलत की सीख दी जाते हैं । हमारे बुजुर्ग , उनके अनुभव भी हमें बहुत कुछ सिखाते हैं । कभी बहन , भाई तो कभी पत्नी भी गुरु बनकर हमें सही राह दिखा जाते हैं । गुरु पूर्णिमा के पावन दिवस  पर अपने गुरुओं को सादर नमन करते हुए अपनी लेखनी को विराम देना चाहती हूँ । आप सभी को शिक्षक दिवस की बधाई और शुभकामनाएं ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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