Saturday, 26 October 2019

लंबे बालों का राज (संस्मरण )

बात उन दिनों की है जब मेरी बेटी शुभि महज छः वर्ष की थी । मैं उसे लेकर अपनी सहेली सपना के घर गई थी । सपना के खूब लंबे व काले , घने बाल थे । शुभि उससे काफी देर तक बात करती रही । बातों ही बातों में उसके जिज्ञासु मन ने सपना को उसके काले और लंबे बालों का राज पूछ ही लिया । मैंने उसकी बातों को बाल सुलभ जिज्ञासा ही समझा था पर उसने तो इसे बहुत गम्भीरता से लिया ।
     दूसरे दिन शाम को जब मैं स्कूल से वापस लौटी तो उसकी हालत देखने लायक थी , उसके छोटे - छोटे बालों से तेल टपक रहा था । पहले मुझे लगा यह बाल गीले कर आई है लेकिन ध्यान से देखने पर माजरा समझ आ गया । मुझे उसके बालों को निचोड़ कर तेल निकालना पड़ा फिर भी ठीक से निकल नहीं पाया । कई दिनों तक लगातार बाल धोने के बाद ही तेल निकला । मैंने जब उससे पूछा कि इतना तेल कौन लगाने बोला था तो मासूमियत से कहने लगी सपना आंटी के बाल तेल लगाने से बढ़े हैं ना इसलिए मैंने भी बाल जल्दी बढ़ाने के लिए ज्यादा तेल लगा लिया । हम सबका हँसी के मारे बुरा हाल था । आज भी  उस हरकत के बारे में उसे याद दिलाओ तो वह झेंप जाती है ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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