Saturday, 26 October 2019

सुरता

मोर छत्तीसगढ़ के माटी ,
तोला बन्दथव..मैं तोला सउरत हंव ।

छलकत  रहय तलाव
पीपर अउ नीम के छांव
तरिया पार के महादेव
सुरुज देवता ल अर्धांव
तोला बन्दथव ..तोला सउरत हंव ।

खुमरी पहिरे सियान
नाव झन ले मितान
गाय गरू के बरदी लेके
बिहनिया पहुँचय दइहान
तोला  गोहरावथव  ..

बासी अउ चटनी के स्वाद
धुस्का चीला फरा हे याद
नूनचरा अउ अथान
खावै लइका अउ सियान
तोला सुरता वत हंव ...

चूल्हा म चुरत भात
बरी जिमिकांदा के साग
बटलोही के दार
सिंघाड़ा तिखुर के फरहार
ओ सुवाद बर तरसथव...

तीजा पोरा तिहार
ठेठरी खुरमी के इंतजार
बहिनी फूफू के लेवाल
खुसी के वो भंडार
तोला खोजत हंव...

कथरी चिथरा फरिया
कोनो रहय न दूरिहा
छोटे बड़े के न भेदभाव
जम्मो रहय एके ठाव
ओला सुमिरत हंव....

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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