Wednesday, 16 October 2019

ज्ञान का महत्व और उपलब्धि

सीखना एक अनवरत और आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है इसलिए कोई भी अपने - आपको सम्पूर्ण ज्ञानी नहीं कह सकता । माँ  के गर्भ से ही बच्चे की शिक्षा प्रारम्भ हो जाती है । जन्म के पश्चात माता - पिता का अनुसरण करके वह बोलना , चलना इत्यादि विविध गतिविधियाँ सीखता है । माँ हमारी प्रथम गुरु होती है जो हमें संस्कार व शिक्षा दोनों प्रदान करती है । परिवार से भी वह बहुत कुछ सीखता है समन्वय , सहयोग , भाईचारा , एक - दूसरे की तकलीफों को समझना , दुःख और सुख को साझा करना । मेरे कहने का अर्थ यह है कि ज्ञान सिर्फ किताबें पढ़ने से ही प्राप्त होता है ऐसा नहीं है । यह  हमें जिंदगी की हर परिस्थिति , घटनाओं , अनुभवों से भी मिलता है इसलिए हम ज्ञान को दो श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं - एक तो पुस्तकीय ज्ञान  दूसरा व्यवहारिक ज्ञान । पुस्तकों से प्राप्त ज्ञान की एक सीमा होती है पर व्यवहारिक ज्ञान तो अनन्त है । इसके अनेक स्रोत हैं हमें सिर्फ उनसे लाभ उठाना आना चाहिए ।
         कई बार लोग एक ठोकर से ही सम्भल जाते हैं , कुछ बार - बार धोखा खाकर भी नहीं सुधरते । पुस्तकीय ज्ञान अर्थात  डिग्री पाना भी आज बहुत बड़ी आवश्यकता है क्योंकि उसके बिना आप किसी जॉब को पाने के योग्य नहीं बन पाते । जिस कार्य के लिए  जो योग्यता चाहिए वह हममें होना अपरिहार्य है । एक डॉक्टर यदि अपने कार्यक्षेत्र का पूर्ण ज्ञान नहीं रखेगा तो वह दूसरों की जान कैसे बचा सकेगा , उसी प्रकार एक पायलट या वाहन चालक अपने कार्य में कुशल होकर ही सही ढंग से अपना कार्य कर पायेगा । प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्मक्षेत्र में कुशलता अर्जित करना अनिवार्य है । यही कुशलता ही उसे उपलब्धि की मंजिल तक पहुँचाती है । अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन अच्छे ढंग से करना ही इंसान की सबसे बड़ी उपलब्धि है चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो । एक गृहलक्ष्मी अपने घर का कुशल प्रबंधन करती है तो यह उसकी बहुत बड़ी उपलब्धि है । ज्ञान की उपलब्धि व्यवहार में है ।
         अर्जित किये गए ज्ञान को यदि हम अपने जीवन में उतारते हैं तो हम चरम सुख की प्राप्ति करते हैं । प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक उद्देश्य होता है और वह उसकी पूर्ति के लिए तन - मन समर्पित कर देता है । अंतिम लक्ष्य तो संतोष , खुशी की प्राप्ति है जो
हमें स्वयं ही महसूस करना है । " मन चंगा तो कठौती में गंगा " कहा गया है यानी  आप अपने - आपको जिस स्थिति में खुश रख पाये वही आपके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है । मेरे विचार से मनुष्य एक अच्छा इंसान बन पाये वही बहुत बड़ी बात है । अपने मन को बुराइयों का घर न बनाये , उसमें सबके लिए प्रेम व सद्भाव रखे तो उसका मानव जन्म सार्थक हो जायेगा । ज्ञान का महत्व इसी बात में है कि  वह इंसान को घमंडी न बनाकर विनम्र बनाये , उसे सभ्यता सिखाये , सुविचारों से परिपूर्ण बनाये , कुविचारों को जन्म ही न लेने दे । कर्मनिष्ठ व ईमानदार बनाये । शुभम करोति कल्याणम ।
आप सभी को सादर वंदन 🙏🙏

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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