ख्वाब जो देखे मुकम्मल हो जाए ,
पहले नींद तो मुसलसल हो जाए ।
दुआ माँगी है तेरी खुशी के लिए ,
जुबां की हर बात पे अमल हो जाए ।
मिलोगे मुझे जो नसीब में होगे तो ,
दुश्वारियाँ राहों की बग़ल हो जाए ।
मिल जाये हमारे दिलों का काफ़िया ,
जिंदगी एक खूबसूरत ग़ज़ल हो जाए ।
उम्मीद का दामन थामे रहना ' दीक्षा ',
न जाने कब कीचड़ से कमल हो जाए ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़1
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