Tuesday, 8 October 2019

रावण आज भी जिंदा है

झूठ का बोलबाला यहाँ , सच हुआ जाता शर्मिंदा है ।
प्रतिवर्ष राम तीर चलाते ,पर रावण आज भी जिंदा है ।

छुपकर बैठा रहता है स्वार्थी , अहंकारी के मन में ।
सौहाद्रता की पहुँच से ऊपर उड़ता हुआ परिंदा है।

बहन , बेटी नहीं सुरक्षित अपने ही घर - आँगन में ।
रावण की अशोक वाटिका में सीता रही पाकीज़ा है ।

भ्र्ष्टाचारी , आततायी असहायों का करते कत्ल यहाँ ।
अत्याचारों से निजात दिलाने आते नहीं गोविंदा है ।

"दीक्षा " की प्रार्थना सुनो , हे कृपानिधान हे रामजी ।
इस बार रावण के साथ करना बुराइयों को विदा है ।

स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment