Wednesday, 30 October 2019

एक दोस्त बहुत खास

एक दोस्त बहुत खास
लगता बेहद प्यारा सा ।
सुर से सजा हुआ साज,
दिलकश उसका अंदाज़ ।
भटकता रहता इधर - उधर ,
एक बादल आवारा सा ।
एक दोस्त बेहद प्यारा सा ।
लगता बेपरवाह ,
पर बेहद संजीदा ।
हर किसी को कराता एहसास,
कुछ खास होने का ।
प्रकृति उसकी स्थिर पर ,
लगता है मन बंजारा सा ।
एक दोस्त बेहद प्यारा सा ।
पढ़ लेता वो आँखों को ,
उनमें छुपे जज़्बातों को ।
परवाह उसको सबकी ,
समझ लेता मन की बातों को ।
चहेता है वह दोस्तों का ,
सबकी आँखों का तारा सा ।
एक दोस्त बेहद प्यारा सा ।
डॉ. दीक्षा चौबे



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