रुचि अपने कॉलेज से लौट रही थी तभी रास्ते में भीड़ देखकर रुक गई । दो लड़कियाँ अपनी स्कूटी से गिर गई थी और लोग तमाशे की तरह देख रहे थे । किसी ने उन्हें उठाया नहीं , न ही देखा कि उन्हें कितनी चोट आई है । रुचि उन्हें उठाने के लिए आगे बढ़ी तो एक - दो लोग और साथ आये । उन्होंने उन दोनों को अस्पताल पहुँचाया । वहाँ बहुत लोग खड़े थे पर संवेदनशीलता
प्रदर्शित करने वाले एक - दो लोग ही असली मर्द निकले ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Saturday, 26 October 2019
असली मर्द ( लघुकथा )
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