Sunday, 3 November 2019

सजल - 2

समांत - आर
पदांत - स्वेच्छिक
मात्रा भार - 18

कुछ ऐसा चमत्कार हो जाये ,
ईश्वर से साक्षात्कार हो जाये ।

मिले न किसी को कोई बुरी खबर ,
सकारात्मक अखबार हो जाये ।

दुआ जो  माँगो मिल जायेगा ,

दुनिया न कोई बाजार हो जाये ।


 दिल में बहे स्नेह की गंगा ,
जिंदगी प्रेम रस धार हो जाये ।

हो चारों ओर  सुकून ,अमन - चैन ,
धर्म व कर्म  एकाकार हो जाये ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment