समांत - आर
पदांत - स्वेच्छिक
मात्रा भार - 18
कुछ ऐसा चमत्कार हो जाये ,
ईश्वर से साक्षात्कार हो जाये ।
मिले न किसी को कोई बुरी खबर ,
सकारात्मक अखबार हो जाये ।
दुआ जो माँगो मिल जायेगा ,
दुनिया न कोई बाजार हो जाये ।
दिल में बहे स्नेह की गंगा ,
जिंदगी प्रेम रस धार हो जाये ।
हो चारों ओर सुकून ,अमन - चैन ,
धर्म व कर्म एकाकार हो जाये ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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