Monday, 18 November 2019

मधुर मिलन

टिम - टिम करते तारे झाँक रहे ,
व्याकुल चाँद घूमे गगन - गगन ।
चाँदनी में  वह मुखड़ा ताक रहे ,
 यामिनी कहाँ  बैठी बन दुल्हन ।।

नीरवता सखी  सदा साथ रहे ,
शीतल , पुलकित मन्द समीरन ।
चूनर में जुगनू को टांक रहे ,
खिले श्वेत पुष्प बने आभूषण ।।

पर खोल रहे गुंचे अपने ,
उड़े रंगोआब महका गुलशन ।
इंतजार में  हैं सदियाँ  बीती   ,
आस लगाये है  बैठी विरहन ।।

आ गई है बेला पूनम की ,
होगा अब तो उनका मधुर मिलन ।
निशा की प्रीत में  खिला चाँद ,
चन्द्र - स्पर्श से हुई निशा रौशन ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़







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