दरअसल वह अपने पति और बच्चे पर उसका कहा कोई काम न कर पाने के कारण होने वाले नुकसान पर बरस कर आई थी । मैंने उससे पूछा कि उसने इतनी उम्र में क्या पूँजी बनाई है । विषय से हटकर अब वह अपनी सम्पत्ति गिनाने में लग गई थी । उसके बाद मेरा अगला प्रश्न था कि उसके पति और बच्चों के बिना इस सम्पत्ति का उसके लिए क्या महत्व है ? वह निरुत्तर हो गई थी क्योंकि सचमुच उसके जीवन की सबसे बड़ी सम्पत्ति उसका परिवार था । फिर यह गुस्सा किसके लिए ? अपने - आप से पूछे गये इस प्रश्न ने उसे शांत कर दिया था ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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