Tuesday, 5 November 2019

सूफियाना इश्क

मेरी रूह में बसी हो तुम ,
फूलों में खुशबू की तरह ।
दिल में धड़कती  रहती हो ,
जीने की  आरजू की तरह ।
कानों में कुछ कह जाती हो ,
पैरों में  घुंघरू की तरह ।
लब चूम लेती हैं निगाहें ,
दीवाने भँवरों की तरह ।
भिगो जाती हैं तन मन ,
सागर की लहरों की तरह ।
पाक हो  तुम मेरे लिए ,
पूजा के फूलों की तरह ।
तुझे याद करना है ज्यों ,
खुदा के इबादत की तरह ।
मुश्किल प्यार को भूलना ,
खाक होता नहीं जिस्मों की तरह ।
सूफियाना इश्क मेरा ,
जीवित रहेगा किस्सों की तरह ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment