सींचते , सँवारते मिलकर देखती दुनिया सारी ।
जड़ें यदि मजबूत हो तो वृक्ष भी फल देगा ,
समन्वय व सहयोग सफलता की अधिकारी ।
नन्हीं - नन्हीं शाखें विकसित हो रही तनों से ,
प्रेम और सद्भावना से सींचें जग की क्यारी ।
व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर चलें अब ,
फैलाएँ सौरभ अमन का महका दें फुलवारी ।
राष्ट्रप्रेम की लौ जलाकर रौशन कर दें जहां ,
उड़ान को मिला गगन परिंदे हुए आभारी ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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