आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
मजहब के नाम पर लड़ना नहीं , धार्मिक उन्माद में भिड़ना नहीं । मानव धर्म हो सबसे ऊपर _ व्यर्थ के विवाद में पड़ना नहीं ।।
डॉ. दीक्षा चौबे दुर्ग , छत्तीसगढ़
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