भाई - बहन के प्यार को
शब्द परिभाषित नहीं कर सकते
शब्द वहन कर ही नहीं सकते
उन भावों को जो
मैं महसूस करती हूँ
तुम्हारे लिए क्योंकि
यह बन्धन नहीं है मोहताज
महज रेशमी धागों का ,
यह रिश्ता तो रक्त अनुबन्ध है
जो दौड़ रहा है ..
मेरी धमनियों और शिराओं में ,
तुम्हारा स्थान है मेरे हृदय में
तुम्हारा बचपन मैंने जिया है
अपने बेटे के बचपन में ,
तुम्हारी छबि उसमें देखकर
मैंने उसे बहुत - बहुत प्यार किया है
शायद उस कमी को भी
भर देना चाहती थी जो
तुम्हारे जीवन में आई
माँ के चले जाने के बाद
मेरे हृदय में कोष है प्यार का
भाई तुम्हारे लिए
जब भी तुम्हें जरूरत हो
तुम उसमें से ले लेना क्योंकि
यह कभी रीतेगा नहीं
बल्कि निकालने से
और भी बढ़ता जायेगा
कभी अपने - आप को
अकेला मत समझना
तुम्हारे साथ रहूँगी मैं हमेशा
दुनिया के अंत तक । 😘😘
तुम्हारी बहन --
डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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