Sunday, 4 August 2019

दोस्ती

मोरपंख  शीश धरे , गले वैजयंती माल ,
स्याम वर्ण पीताम्बर धारी नन्द के लाल ।
छुपकर बैठे हरी घास पर कदम्ब की छांह ,
लड्डू लिये हाथों में सामने मिष्ठान्न की थाल ।
एक - दूजे की आँखों में रहे प्यार से झाँक ,
डाल बाँह गले में श्रीदामा संग बैठे गोपाल ।
भेद नहीं ऊंच - नीच का , हृदय  है विशाल ,
कृष्ण - सुदामा की दोस्ती  बनी एक मिसाल ।
नेह , विश्वास  के रिश्ते में भक्ति हुई निहाल ,
बिना कहे जो पढ़ लेते सखा के दिल का हाल ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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