तेरा आना जीवन में यूँ ,
जैसे तपती धरा पर
सावन की पहली बारिश
पूरी हो जाये ज्यों
मन की अधूरी ख्वाहिश
उनींदी आँखों में ठहरे
कुछ रुपहले सपने
मोतियों की लड़ियों से
रूप सजाते झरने
नीम अंधेरी रातों में
चाँद का निकल आना
धीमे से कलियों का खिलना
मंद - मंद मुस्काना
तेरा आना जीवन में ज्यों
लहरों का मचलना
सतरंगी इंद्रधनुष का बनना
रंगीन तितलियों का
फूलों पर मंडराना
नेह से भीगा
एक एहसास मीठा सा
प्यार का हुआ
आभास सोंधा सा
छलक उठा ज्यों
खुशियों का पैमाना ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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