Monday, 5 August 2019

सिर्फ तुम

इन आँखों ने देखे ख्वाब कई ,
उन ख्वाबों की ताबीर हो तुम ।
संजोकर  रखा है जिसे बरसों ,
वो अनमोल जागीर हो तुम ।
बाँध लिया मुझे जन्मों के लिए ,
प्रीत की वो जंजीर हो तुम ।
मोल न चुका सकूँ कभी भी,
वो बेशकीमती बेनजीर हो तुम ।
खुदा ने तराशा तुम्हें मेरे लिए ,
हाथों में किस्मत की लकीर हो तुम ।
सिर्फ तुम मेरे मन - मंदिर के देव ,
दिल में मढ़ी सुन्दर तस्वीर हो तुम ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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