Friday, 9 August 2019

ग़ज़ल

प्यार मुझे करना भरपूर ,
नज़रों से कभी न होना दूर ।

तेरी मोहब्बत का है असर ,
चेहरे पर छाया जो नूर ।

साथ छोड़कर न जाना सनम ,
दुनिया चाहे करे मजबूर ।

खुदा की नेमत से पाया तुझे ,
इश्क न बना दे मुझे मगरूर ।

रस्मे - मोहब्बत जुदाई की ,
दर्द सहना  भी मुझे मंजूर ।

दिलवालों को सताती रही ,
दुनिया का है यही दस्तूर ।

इम्तिहानों से न डरना " दीक्षा ",
दीवानापन कर देता मशहूर ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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