Tuesday, 27 August 2019

आत्म सम्मान ( लघुकथा )

शीला जब शाम को बर्तन माँजने  शारदा देवी के घर पहुँची तो वहाँ गहमा गहमी थी । उनकी सोने की अंगूठी जो उन्होंने नहाने जाने से पहले खाने की टेबल पर रख दी थी , वह गुम हो गई थी । उन्होंने पूरा घर छान मारा था और न मिलने पर उन्हें शक नौकरों पर ही हो रहा था
।  उसके पहुँचते ही उससे भी पूछताछ होने लगी थी , यह देखकर शीला को बहुत दुःख हुआ । क्या नौकरों का कोई आत्मसम्मान नहीं होता ? शीला कई वर्षों से उनके घर पर काम कर रही थी , कभी कोई चीज चोरी नहीं हुई । उस पर विश्वास करके मालकिन घर की चाबी भी उसके पास छोड़ देती थी । इस घटना ने उसे चिंतित कर दिया था और वह उनके साथ मिलकर अंगूठी को  ढूँढने  लगी थी । अंगूठी वहीं कमरे में आलमारी के नीचे मिल गई थी पर शीला के आत्मसम्मान को ठेस पहुँची और उसने शारदा देवी के घर का काम छोड़ दिया था ।
अविश्वास के कारण शारदा देवी ने एक ईमानदार सहयोगी खो दिया था ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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