चुनाव क्या जीते नेता जी ,
हो गये खूब मोटे नेता जी ।
आलीशान हो गई हवेली ,
कद के हुए छोटे नेता जी ।
झूठे वादों से मन भरमाए ,
बने दिल के खोटे नेता जी ।
कमीशन , रिश्वत खूब खाए ,
घी तर माल झपेटे नेता जी ।
बात खुली तो पकड़ में आये ,
जाँच कमीशन के लपेटे नेता जी ।
धन कमाया कुछ काम न आया ,
जेल में पत्थर कूटे नेता जी ।
दोस्त न कोई सगा - सम्बन्धी ,
खुद से हारे - टूटे नेता जी ।
धन बल पद को पूजे दुनिया ,
चमचों , भक्तों से छूटे नेता जी ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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