Tuesday, 13 August 2019

बाढ़ का कहर

नजरों में वो भयावह मंजर है ,
मुश्किलों में आज कई घर हैं  ।

चारों ओर मचा दी तबाही ,
भीषण ये बाढ़ का कहर है  ।

जिंदगी औ मौत के जंग में ,
अपनों को खोने का डर है ।

देखो कैसे बदलती किस्मत ,
महलवासी  हो गये बेघर हैं ।

कल तक जो  देते थे सहारा  ,
आज वो भटकते दर - बदर  हैं ।

फले - फूले  नदी के किनारे ,
आज विनष्ट हुए वे नगर हैं ।

बनने - बिगड़ने पे न रो  "दीक्षा "
यही जिंदगी का सफर है ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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