मजबूती से खड़ा गणतंत्र ,
इसको आधार मान ।
सोच समझकर करना ,
करना जरूर मतदान ।
चंद रुपयों के लालच में ,
न बेचना स्वाभिमान ।
पूछ परख कर करना ,
करना जरूर मतदान ।
न आना लोगों की बातों में ,
जातिगत भेद न मान ।
प्रत्याशी की क्षमता को ,
जाँच कर करना मतदान ।
आयेंगे कई खरीददार ,
अपने मत का मूल्य पहचान ।
इसका न कोई मोल ,
सम्भलकर करना मतदान ।
विकासपथ पर जो ले जाये ,
सौंपना है उसे कमान ।
देशहित है सर्वोपरि ,
अपने दिल का कहना मान ।
मत दे बढ़ावा कभी भी ,
वंशवाद , खानदान ।
हिंसा , गुंडागर्दी का ,
लोकतंत्र में नहीं स्थान ।
पाँच वर्ष भुगतना पड़ेगा ,
रखना इस बात का ध्यान ।
गलत निर्णय न हो जाये ,
सोचकर करना मतदान ।।
करना जरूर मतदान ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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