वतन महान है मेरा ,
वतन ईमान है मेरा ।
मिटा दूं मैं अपनी हस्ती ,
सब कुछ कुर्बान है मेरा ।
उगाये मिट्टी से सोना ,
परिश्रमी किसान है मेरा ।
कभी विश्वास न खोना ,
सैन्य शौर्य गुमान है मेरा ।
अंतहीन , सीमाहीन ,
अंतरिक्ष तक विमान है मेरा ।
किये अविष्कार नवीन ,
आधुनिक विज्ञान है मेरा ।
समृद्ध और खुशहाल ,
देश अभिमान है मेरा।।
गर्व कर दीक्षा इस पर ,
जन्म लेना यहाँ सम्मान है मेरा ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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