Friday, 10 May 2019

ग़ज़ल


वतन महान है मेरा ,
वतन ईमान है मेरा ।

मिटा दूं मैं अपनी हस्ती ,
सब कुछ कुर्बान है मेरा ।

उगाये मिट्टी से सोना ,
परिश्रमी किसान है मेरा ।

कभी विश्वास न खोना ,
सैन्य शौर्य गुमान है मेरा ।

अंतहीन , सीमाहीन ,
अंतरिक्ष तक  विमान है मेरा ।

किये अविष्कार नवीन ,
आधुनिक विज्ञान है मेरा ।

समृद्ध और खुशहाल ,
देश अभिमान है मेरा।।

गर्व कर दीक्षा इस पर ,
जन्म लेना यहाँ सम्मान है मेरा ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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