निर्मला देवी घर से बाहर थीं जब उनके पीछे इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई । उनकी दुकान में आग लग जाने के कारण उन्हें लाखों का नुकसान हो गया । इसका आघात उनके पति सहन न कर सके और उन्हें हार्ट अटैक आ गया । बेटे असमंजस में थे क्या -क्या देखें ।
तब उनकी समझदार बड़ी बहू ने सुझाव दिया कि आप दोनों दुकान का काम सम्भालें , अस्पताल और घर हम दोनों सम्भाल लेंगे । छोटी बहू ने घर और बच्चों की व्यवस्था सम्भाली और बड़ी बहू ने अस्पताल में रहकर ससुर जी की देखभाल की । उसने जिम्मेदारी के साथ सारी व्यवस्था सम्भाल ली , किसी बात की परेशानी नहीं होने दी । जब निर्मला देवी वापस आई तो यह सब देखकर उनकी आँखों में आँसू आ गये । वक्त पड़ने पर मजबूत ढाल बनकर उसने अपनी क्षमता साबित कर दी थी ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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