Sunday, 26 May 2019

मेरी लाडो सुनो

मेरी प्यारी लाडो सुनो ,
खूबसूरत ,बेहद खास हो तुम ।
मधुबन की पुरनम खुशबू का ,
एक खुशनुमा एहसास हो तुम ।
मेरी लाडो बेहद खास हो तुम ।

ढूँढती हूँ..पाती हूँ मैं तुझमें ,
अपनी ही शख्सियत ।
उड़ने को खुला आसमान ,
सब कुछ सौंप देने की चाहत ।
कभी नींद में देखा था जो ,
वो मुकम्मल ख्वाब हो तुम ।
मेरी लाडो बेहद खास हो तुम ।

पाला है तुझे नाजों से मैंने ,
रूढ़िगत बातों  को भुलाकर ।
दिये शिक्षा और सुविचार ,
ताकि बन सको आत्मनिर्भर ।
सुनकर भूल न जाना मेरी ,
अंतर्मन की आवाज हो तुम ।
मेरी लाडो बेहद खास हो तुम ।

जीवन के सफर में मिलेंगे ,
तुम्हें भले और बुरे लोग ।
छल , फरेब , झूठे प्रेम की ,
अंधेरी दुनिया बसाते  लोग ।
न भटकना इन बंद गलियों में ,
मेरे हौसलों की परवाज़ हो तुम ।
मेरी लाडो बेहद खास हो तुम ।

दर्पण देख न रीझना खुद पर ,
अपने अस्तित्व को निखारना ।
सौंदर्य - शृंगार न बने कमजोरी ,
अपने भविष्य को संवारना ।
सजग होकर आगे बढ़ना ,
नये युग का आगाज़ हो तुम ।
मेरी लाडो बेहद खास हो तुम ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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