तृषा आँसू भरी आँखों से ऋषभ को दूर जाते देख रही थी ..कितने बड़े - बड़े वादे किये थे उसने , पर आज वो सब बेमानी हो गये थे । सुख - दुःख में साथ देने का दम भरने वाली उसकी बातें शीशे की तरह यथार्थ के ठोस धरातल से टकरा कर चूर - चूर हो गई थी.. साथ में उनके ख्वाब भी । पापा ने तो बस उसको परखने के लिए कह दिया था कि ऋषभ से शादी करने के बाद वे उसे अपनी सारी सम्पत्ति से बेदखल कर देंगे..और ऋषभ इस परीक्षा में फेल हो गया । शायद मुझ सामान्य सी दिखने वाली लड़की से कहीं अधिक उसकी रुचि मेरी सम्पत्ति में थी । अच्छा हुआ..उसके प्यार का झूठा तिलिस्म टूट गया और उनके #खोखले रिश्तों का सच बाहर आ गया वरना शादी के बाद का धोखा वह कैसे बर्दाश्त करती । स्वार्थ और छल से भरे रिश्ते का टूट जाना ही बेहतर है कहते हुए उसने अपने आँसू पोछ लिये ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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