बात उन दिनों की है जब हमारी नई - नई शादी हुई थी ।
तब मेरी पढ़ाई चल रही थी और हम कहीं बाहर घूमने नहीं जा पाये थे । कुछ दिन के लिए ससुराल आती तो संयुक्त परिवार में रिश्तेदारों के मिलने आने वालों के कारण एक - दूसरे के लिए समय ही नहीं मिलता था । एक दिन पतिदेव ने अपने दोस्त के घर जाने का बहाना बनाया और हम तैयार होकर निकलने लगे कि ननद का चार वर्ष का बेटा हमारे साथ चलने की जिद करने लगा । हमने उसे साथ ले लिया और मूवी देखने चले गये.. ।
उसके एक - दो दिन बाद घर पर सभी बैठे थे कि लाइट चली गई..भांजा अनीश अपने मामा के पास आया और बोला - मामाजी सीटी बजाइये न..सीटी बजाने से लाइट आ जाती है जैसे उस दिन आ गई थी । दरअसल उस दिन टॉकीज में बिजली गुल हो जाने पर लोग सीटियाँ बजाने लगे थे उसके बाद जेनेरेटर चालू हो गया । बड़े लोग तो समझ गये थे कि हम उस दिन कहाँ गये थे पर हमारी पोल खुल जाने के कारण हम लोग झेंप गये थे ।
आज भी लाइट चली जाने पर वह वाकया याद आ जाता है ।
डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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