Sunday, 19 July 2020

पीरा ( छत्तीसगढ़ी गीत )

अन्नदाता तैं कर्जा के...
फंदा मा कहां फंदागे जी
बियाज उपर बियाज चढ़त हे
मूलधन ह लुकागे जी ।

सुक्खा परगे खेत खार..
बरसात हर रिसागे जी
परिया  परगे बारी बखरी
साग भाजी बिसाबे जी

बनिहार घलो मिलय नहीं
खेती बारी बेचागे जी
बुता खोजे बर चलिन सहर
गांव के गली हर रितागे जी

महंगाई के नागर म
बइला सही फंदागे जी
बांचे के रददा नई दिखय
पीरा म जिनगी बंधा गे जी ।।

स्वरचित .... डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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