वंदन वेद पुराण को , मेरा देश महान ।।
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भासित प्रचण्ड पुंज सम , अम्बर ज्यों मार्तण्ड ।
विराट जन मानस लिए , मेरा देश अखण्ड ।।
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दधीचि जैसे संत ने , अस्थि किया निज दान ।
माटी मेरे देश की , वीरों की है खान ।।
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चंदन सी माटी जहाँ , रंग - बिरंगा वेश ।
गंगा जल पावन यहाँ , ऐसा मेरा देश ।।
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ज्ञानी बढ़ चढ़कर हुए , जनमे सन्त महान ।
मीरा कबीर सूर से , देश का बढ़े मान ।।
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भाषा जाति भिन्न यहाँ , भिन्न भिन्न परिवेश ।
प्रेम से सब गले मिलें , मेरा देश विशेष ।।
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देवी हर बाला यहाँ , बच्चा - बच्चा राम ।
काशी प्रयागराज हैं , पावन शिव के धाम ।।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़
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