Sunday, 19 July 2020

दोहे ( गुरु )

गुरु-वंदना

गुरु की कर आराधना , पाना है जो ज्ञान ।
ईश्वर  को पाना अगर , गुरु का कहना मान ।।

माता होती प्रथम गुरु , देती ज्ञान , विचार ।
शिक्षा और संस्कार से , चरित्र मिले निखार ।

मात-पिता-गुरु को नमन , करता यह संसार ।
दीक्षा-विवेक- ज्ञान ही , जीवन के आधार ।।

दीपक सम जलकर सदा ,  मन में भरें उजास ।
ज्योति जलाएँ ज्ञान की , भरते पंथ प्रकाश ।।

राह दिखाते हैं जगत , नहीं बिना गुरु ज्ञान  ।
गुरु-चरणों की वंदना , करें सदा सम्मान ।।

महिमा गुरुवर की सदा , जग यह गाए आज ।
कलुष अज्ञान का मिटा , करते स्वच्छ समाज ।

 - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़

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