गुरु की कर आराधना , पाना है जो ज्ञान ।
ईश्वर को पाना अगर , गुरु का कहना मान ।।
माता होती प्रथम गुरु , देती ज्ञान , विचार ।
शिक्षा और संस्कार से , चरित्र मिले निखार ।
मात-पिता-गुरु को नमन , करता यह संसार ।
दीक्षा-विवेक- ज्ञान ही , जीवन के आधार ।।
दीपक सम जलकर सदा , मन में भरें उजास ।
ज्योति जलाएँ ज्ञान की , भरते पंथ प्रकाश ।।
राह दिखाते हैं जगत , नहीं बिना गुरु ज्ञान ।
गुरु-चरणों की वंदना , करें सदा सम्मान ।।
महिमा गुरुवर की सदा , जग यह गाए आज ।
कलुष अज्ञान का मिटा , करते स्वच्छ समाज ।
- डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़
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