निकल पड़ा हो चाँद ज्यों , धवल हुआ आकाश ।।
दीपक की हूँ ज्योति मैं , तम को दे दूँ मात ।
गुरुवर की पाकर कृपा ,पुलक उठा यह गात ।।
सभी दुखों को दूर कर , बनें नैन की ज्योति ।
राह दिखाएँ रात में , ईश्वर में हो प्रीति ।।
पेड़ों से छाया मिले , सूरज मिले प्रकाश ।
साँझ ज्योति ज्यों दीप की , तम में भरे उजास ।।
शिक्षा -ज्योति जले रहे , घर - घर पहुँचे ज्ञान ।
आगे बढ़ें लोग सभी , देश का बढ़े मान ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़
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