Sunday, 19 July 2020

दोहे ( ज्योति )

ज्योति जली है ज्ञान की , अन्तस्  हुआ प्रकाश ।
निकल पड़ा हो चाँद ज्यों , धवल हुआ आकाश ।।

दीपक की हूँ ज्योति  मैं , तम को दे दूँ  मात ।
गुरुवर की पाकर कृपा ,पुलक उठा यह गात ।।

सभी दुखों को दूर  कर , बनें नैन की ज्योति ।
राह दिखाएँ  रात में , ईश्वर में हो प्रीति ।।

पेड़ों से छाया मिले  ,  सूरज मिले प्रकाश ।
साँझ ज्योति ज्यों दीप की , तम में भरे  उजास ।।

शिक्षा -ज्योति जले रहे   , घर - घर पहुँचे ज्ञान ।
 आगे बढ़ें लोग सभी  , देश का  बढ़े मान ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़

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