Sunday, 19 July 2020

कुण्डलिया

 कुण्डलिया : 1

" बोलें हम मीठे वचन , मन लें सबका जीत ।
हिलमिल सबसे रहे हम , सब पर अपनी प्रीत ।
सब पर अपनी प्रीत , रखें हम मन को चंगा ।
मन पावन रहे तो , कठौती में है गंगा ।
कह दीक्षा करजोरि , मधुरिमा जीवन घोलें ।
सफल हों जीवन में , मीठे वचन हम बोलें ।।
2
दीपक सम जलते रहो , जग को करो उजास ।
जीवन में रहना नहीं , दुःखी और निराश ।
दुःखी और निराश  , रहते अगर जीवन में ।
होता नहीं विकास , काँटे मिलते चमन में ।
दीक्षा का संदेश , बनो खुशियों के द्योतक ।
स्वस्थ सुखी सफल हो , बनो तुम कुल के दीपक ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़

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