रंग जगत का निखर रहा , मिले वायु जल धूप ।।
पावस का है आगमन , मुदित भया संसार ।
गाते किसान खेत पर , गीत मेघ मल्हार ।।
प्रकृति की मनोरम छटा , वसुधा का शृंगार ।
मिला चैन संसार को , खुशियाँ मिलीं अपार ।।
हरियाली के शुभ दिवस , बैल हल पूजें आज ।
खेतों की शोभा हैं ये , पूर्ण करें सब काज ।।
ईश्वर की पूजा करें , मानें रीति - विधान ।
कलुष मिटे मन के सभी , मिले दुखों से त्राण ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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