Sunday, 19 July 2020

मुक्तक

 प्रेम
ढाई अक्षर के इस शब्द का , बहुत गहरा अर्थ है ।
जो छू न पायें आपका हृदय , लिखना मेरा व्यर्थ है ।।

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लगता अंतर्मन  शांत पर बाहर कोलाहल है ,
हृदय घट अमृत से भरा , जग यह हलाहल है ।
बेचैनी से भरा ,भीड़ में  जो बीता जीवन _
अपनों के  संग बीता वही सुकून का पल है ।।
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पंछी उड़ने के लिए वृहद आकाश माँगता है ,
थका देह विश्राम के लिए अवकाश माँगता है ।
भर देता है जीवन को सहज ही खुशियों से_
प्रेम टिकने के लिए अटूट विश्वास माँगता है ।।
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