मन में जीने की आस रहे ,
रिश्तों में यदि विश्वास रहे ।
लेते हैं दिलों को जीत वे ,
वाणी में जिनकी मिठास रहे ।
मिलेगी मंजिल निश्चित ही ,
गर कुछ पाने की प्यास रहे ।
जिंदा होने का प्रमाण है ,
दिल में बाकी अहसास रहे ।
वसुधा है उसका कुटुंब जिसे ,
पर पीड़ा का आभास रहे ।
कुछ खास जगत में कर जाये ,
जीवित उसका इतिहास रहे ।
"दीक्षा " दृष्टि यही ढूँढ रही ,
दिल में प्यार का उजास रहे ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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