#अस्मत पर आये कोई आंच गवारा नहीं हमको ,
झूठ जो ढक ले सांच वो प्यारा नहीं हमको ।
खेल जायेंगे जान पर बचाने अपनी इज्जत -
भूलकर भी समझना नाकारा नहीं हमको ।
गुल ही नहीं तुम्हें खार में भी खिलना होगा ,
वक्त के साथ खुद को भी बदलना होगा ।
खेल न सके कोई # अस्मत से तुम्हारी_
जरूरत पड़े तो आग में भी चलना होगा ।
No comments:
Post a Comment