Saturday, 18 July 2020

स्वागत गीत

गीत
मात्राभार 16/14 ताटँक छंद
****************************************
मधुरिम भावों से अभिनन्दन ,स्नेह पुष्प गुँथे  हार हैं ।
 श्रद्धाभाव के बने तोरण ,  प्रेम के बंदनवार हैं ।
मीठी वाणी के चन्दन से ,  करते  हैं माथे  तिलक ,
नयन दीप से पूजन - अर्चन , मनभावन  मनुहार  हैं ।

रंगोली सजी अनुराग की  , अधरों पर मुस्कान सजी ।
महक उठी जीवन की बगिया , अंतर्मन की कली खिली ।
लेकर आई पवन बसन्ती  , खुशियों की नव बहार है ।
नयन दीपों से पूजन - अर्चन , मनभावन मनुहार हैं ।।

 हृदयांचल में सुमन खिले हैं  ,भाव - विव्हल हुए नयन ।
छलके  नीर नेह निर्झर से ,हों पुलकित पखारें चरण ।
 आरती लेकर मन्नतें खड़ी , चाहत सजा दरबार है ।
नयन दीपों से पूजन- अर्चन , मनभावन मनुहार हैं ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment