गीत
मात्राभार 16/14 ताटँक छंद
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मधुरिम भावों से अभिनन्दन ,स्नेह पुष्प गुँथे हार हैं ।
श्रद्धाभाव के बने तोरण , प्रेम के बंदनवार हैं ।
मीठी वाणी के चन्दन से , करते हैं माथे तिलक ,
नयन दीप से पूजन - अर्चन , मनभावन मनुहार हैं ।
रंगोली सजी अनुराग की , अधरों पर मुस्कान सजी ।
महक उठी जीवन की बगिया , अंतर्मन की कली खिली ।
लेकर आई पवन बसन्ती , खुशियों की नव बहार है ।
नयन दीपों से पूजन - अर्चन , मनभावन मनुहार हैं ।।
हृदयांचल में सुमन खिले हैं ,भाव - विव्हल हुए नयन ।
छलके नीर नेह निर्झर से ,हों पुलकित पखारें चरण ।
आरती लेकर मन्नतें खड़ी , चाहत सजा दरबार है ।
नयन दीपों से पूजन- अर्चन , मनभावन मनुहार हैं ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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