लक्ष्य का संधान कर , नीति का विधान कर ,
श्रम अनुष्ठान कर , जग मिल जाएगा ।
निशा को विहान कर ,नीचे आसमान कर ,
त्याग तप जो करे , सुख वही पाएगा ।
हौसला उफान पर , जोश की उड़ान भर ,
झुका कर आसमान , तारे तोड़ लाएगा ।
भूमिजा बने उर्वर , स्वेद जल सींच कर ,
जीवन सफल कर , सुख फल खाएगा ।
- डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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