सावन में झूलों का उत्सव ,खुशियाँ लेकर आया है ।
बूँदें छेड़े भीगे तन को , पावस मन को भाया है ।।
मोती की लड़ियाँ मनभावन , याद दिलाती हैं प्रिय की।
हाथों में थामो जब इनको , प्यास बढ़ाती हैं मन की।
विरहा के प्यासे अंबर में , सुख का बादल छाया है ।
लौट रहे घर साजन मेरे , यह संदेशा लाया है ।।
सुधियों की बारिश में भीगा , मन-मयूर मेरा झूमा ।
चुपके से उस छली भ्रमर ने , फूलों के मुख को चूमा ।
मदमस्त पवन के झोंकों ने , अलकों को सहलाया है ।
खुशियाँ पाकर नाच उठा तन , झूम-झूम मन गाया है ।।
मधुर मिलन की याद दिलाती , मुझको भाती यह बारिश।
बाँहों में प्रियतम के झूलूँ , बस इतनी-सी है ख्वाहिश ।
मन की इस महकी बगिया में , प्रेम-पुष्प मुस्काया है ।
बारिश की छम-छम बूँदों में , प्यार पिया का पाया है ।।
वसुधा का शृंगार कर रही , उमड़-घुमड़ वारिद माला ।
रंग-बिरंगे पुष्प मनोहर , मोती से सजती बाला ।
खुशबू आई प्रथम मिलन की , प्रिय की यादें लाया है ।
संग सजन के झूला झूलूँ , सोच जिया हरषाया है ।।
- डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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