Friday, 31 July 2020

छत्तीसगढ़ी गीत

देखत हावव रस्ता तोर , तरिया के पार मा ।
आ जाबे गोरी तैं हर , सोलह सिंगार मा ।।

धान  कस सुघ्घर हरियर तोर लुगरा हे ,
बादर कस करिया तोर आँखी के कजरा हे ।
 ददरिया गाबो दुनो झन , बुता करत खार मा ।
आ जाबे गोरी तें हर , तरिया के पार मा ।।

लाली लाली चुरी पहिरे ,कनिहा करधनिया ओ ,
सुरुज असन दमकत हे ,माथे के बिंदिया ओ ।
झूम जाथे मोर जियरा  ,पैरी के झनकार मा ।
आ जाबे गोरी तें हर , सोलह सिंगार मा ।।

तोर बोली कोइली असन , अब्बड़ नीक लगथे ,
नागिन सही तोर केश म , मोर नैन अरझथे ।
जिवरा हर मोर भेदागे , तोर नैन के कटार मा ।
आ जाबे गोरी  तैं हर , सोलह सिंगार मा ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़









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