विषय - बेटी
बेटी पढ़ती है यहाँ , जीवन रुपी किताब ।
मन के कोरे स्लेट पर , मिलते लिखे जवाब ।।
पढ़ी लिखी बेटी करे , राष्ट्र जगत कल्याण ।
बदलें सभी विचार तब , मिले दुखों से त्राण ।
पढ़ - लिखकर बेटी बने , मात- पिता का मान ।
सफल रही हर क्षेत्र में , सभी काम आसान ।
मलयज की पावन महक , मधुबन की है शान ।
बेटी पढ़ -लिख कर बनी , दो घर का अभिमान ।
दीपक के उजियार से, अँधियारा हो दूर ।
पढ़-लिख बेटी हो सफल , प्रियजन करें गुरूर ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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