पलकें झुकाकर प्यार का इकरार कर लिया ।
कुछ तो हुई होगी हलचल उनके सीने में ,
कातिल अदा ने सीधे दिल पर वार कर दिया ।
चोरी - छिपे हम पर नज़र रखते हैं वो ,
उन चुराती नज़रों से हमने प्यार कर लिया ।
इज़हारे मोहब्बत से इनकार है उनको ,
उनकी कशमकश हमने स्वीकार कर लिया ।
मंजूर नहीं हार कर अब पीछे मुड़ जाना ,
वफ़ा की राह में जीना दुश्वार कर लिया ।
उथली नदी नहीं दिल गहरा समंदर है ,
ताकयामत प्यार का इंतजार कर लिया ।
पाने को ही प्यार कहते नहीं " दीक्षा ",
एहसास कर जिंदगी गुलज़ार कर लिया ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
No comments:
Post a Comment