Thursday, 30 July 2020

दोहे ( अहंकार )

चार दिनों की जिंदगी , मत कर तू अभिमान ।
महल काम आए नहीं , छूटे सब सामान ।।

जाना है सबको यहाँ , अहंकार को त्याग ।
बहुत दिनों सोया रहा , बीती बेला जाग ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़

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