Tuesday, 21 July 2020

रूप घनाक्षरी

अंधकार निराशा का , एक दिन जाएगा ही ,
लंबी चाहे कितनी हो , बीतेगी जरूर रात ।
तम गया रवि आया , जीवन उजास लाया ,
एक नवीन उत्साह , ले आया नव प्रभात ।
सुमन महक उठे , गगन लहक उठे ,
पवन के आगोश में , प्रमुदित हुआ गात ।
आस्था बनाये रखना ,यत्न करते रहना ,
साधना करते रहो ,बनेगी जरूर बात ।।

सुविधा साधन मिला , सुख का भाजन मिला ,
जिंदगी में सब मिले , मिले नहीं पितु - मात ।

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