Wednesday, 22 July 2020

विधाता ( दोहे )

भाग्य विधाता ने रचा , यह सुंदर संसार ।
अद्भुत उसकी सर्जना , लोचन सुखद अपार ।।

गढ़े विधाता ने यहाँ , भाँति - भाँति के लोग ।
सरस सलिल सरिता बहे , मनुज करे उपभोग ।।

धरती माँ पोषण करे , पर्वत पिता समान ।
विपिन विधाता ने दिए , कर इनका सम्मान ।।

पारस पावन अनल है , शीतल मंद समीर ।
दान विधाता ने दिया , निर्झर निर्मल नीर ।।

गढ़े विधाता ने यहाँ , सुंदर दृश्य अभिराम ।
उपवन सी दुनिया बनी , पावन सुरभित धाम ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment