ट्रेन में गाने गाकर वह भीख माँगती थी । किसी ने उसका गाना रिकॉर्ड कर व्हाट्सएप में डाल दिया था । मीडिया में उसके गाने की धूम मच गई थी । एक बहुत बड़े संगीतकार ने अपनी एक फ़िल्म में गाने का ऑफर भी दे दिया । बेबसी की जिंदगी से उठकर चकाचौंध भरी दुनिया में पहुँच गई थी वह । दूध के उफान की तरह शोहरत की चमक कुछ दिन ही रही पर उसके जीवन में अंधेरा कर गई । आँखों में ख्वाहिशों के सजते सपने अब उसे वापस लौटने भी नहीं दे रहे थे । अभावों में भी संतुष्ट थी वह , काश ! उसकी आँखों को कोई सपना दिखाया ही नहीं जाता ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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